अंतरिक्ष मे ब्लैक हॉल की सच्चाई
(Black Hole) ब्लैक होल क्या है : इतने शक्तिशाली गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र वाली कोई ऐसी खगोलीय वस्तु है, जिसके खिंचाव से प्रकाश-सहित कुछ भी नहीं बच सकता। कालेछिद्र के चारों ओर घटना क्षितिज नामक एक सीमा होती है जिसमें वस्तुएँ गिर तो सकती हैं परन्तु बाहर नहीं आ सकती। इसलिए ब्लैक होल कह जाता है ब्लैक होल के पास समय की गति बहुत ही धीमी हो जाती है
ब्लैक होल की उत्पत्ति : जब किसी बड़े तारे का पूरा का पूरा ईंधन जल जाता है तो उसमें एक ज़बरदस्त विस्फोट होता है जिसे सुपरनोवा कहते हैं। विस्फोट के बाद जो पदार्थ बचता है वह धीरे धीरे सिमटना शुरू होता है और बहुत ही घने पिंड का रूप ले लेता है जिसे न्यूट्रॉन स्टार कहते हैं। अगर न्यूट्रॉन स्टार बहुत विशाल है तो गुरुत्वाकर्षण का दबाव इतना होगा कि वह अपने ही बोझ से सिमटता चला जाएगा और इतना घना हो जाएगा कि वे एक ब्लैक होल बन जाएगा और श्याम विवर, कृष्ण गर्त या ब्लैक होल के रूप में दिखाई देगा
ब्लैक होल की खोज किसने की : ब्लैक होल की खोज कार्ल स्क्वार्जस्चिल्ड और जॉन व्हीलर ने की
असली ब्लैक होल की तस्वीर : 10/04/2019 को नासा द्वारा लिया गया
ब्लैकहोल अभी तक सिर्फ काल्पनिक ही था पर 10 अप्रैल को ब्लैकहोल की पहली इमेज जारी की गई इमेज एक सुपर मैसिव ब्लैकहोल की है
ब्लैक होल की पृथ्वी से कितनी दूरी है : यह M87 गैलेक्सी में स्थित है यह ब्लैक होल हमसे 53.5 मिलियन प्रकाश वर्ष दूर है
ब्लैक होल के प्रकार : 1) Stellar black holes
2) Supermassive black holes
3) miniature black hole
ब्लैक होल का पता कैसे चलता है : Deep Space में ब्लैक होल ऐसी जगह होगा जहां पर कुछ भी नहीं होगा यहां प्रकाश नहीं जा पाता और ऐसी खाली जगह जिसके चक्कर कोई आकाशीय पिंड लगा रहे हो वहां ब्लैक होल होगा कोई चीज़ हमे दिखती तब है जब उस पर प्रकाश पड़ता है और वहां से Reflect हो कर हमारी आँखों में जाता है
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