भारत का कुलधरा रहस्यमय,श्रापित और भूतिया गाँव
कुलधरा रहस्यों में लिपटा एक वीरान गाँव : (Kuldhara or Kuldhar) भारतीय राज्य राजस्थान के जैसलमेर ज़िले में स्थित है एक शापित और रहस्यमयी गाँव है जिसे भूतों का गाँव (Haunted Village) भी कहा जाता है।
कुलधरा गाँव की स्थापना : इस गाँव का निर्माण लगभग 13 वीं शताब्दी में पालीवाल ब्राह्मणों ने किया था।
यह 19 वीं शताब्दी में घटती पानी की आपूर्ति के कारण पूरा गाँव नष्ट हो गया लेकिन
कुछ लोगों का मानना है कि यहां पानी की समस्या के कारण लोग गाँव छोड़कर नहीं गए बल्कि जैसलमेर राज्य के मंत्री सलीम सिंह के अत्याचार के कारण गए थे। किंवदंतियों के अनुसार यहां पर काफी संख्या में लोग रहा करते थे जिसमें एक मुखिया भी हुआ करता था ,मुखिया की एक सुंदर पुत्री भी थी यह बात कुलधरा गाँव से बाहर निकली और जैसलमेर राज्य तक पहुंची। जब इसका पता सलीम सिंह को चला तो वह उस सुंदर कन्या पर रूप मोहित हो गया इस कारण उसने गाँव वालों पर दबाव बनाने लगा। सलीम सिंह चाहता था कि वह मुखिया की पुत्री से शादी करे लेकिन गाँव वाले कतई नहीं चाहते थे ब्राह्मण समाज का नाम छोटा पड़े। इस कारण गाँव के मुखिया ने एक रात सभा बुलाई और सभी ने फैसला लिया कि हम लोग रातों रात यह गाँव छोड़कर चले जाएंगे ,अन्यथा यह गाँव की कन्या से शादी कर लेगा। फिर एक रात सभी गांववाले पूरा गाँव को छोड़कर किसी दूसरे गाँव में चले गए। लोगों का कहना है कि ये गाँव वाले जाते -जाते यह श्राप भी देकर गए थे कि यहाँ फिर कोई नहीं बस पायेगा इसलिए वर्तमान में यह राजस्थान के जैसलमेर का गाँव एक शापित गाँव कहलाता है।
यह गाँव अभी भी भूतिया गाँव कहलाता है लेकिन अभी राजस्थान सरकार ने इसे पर्यटन स्थल का दर्जा दे दिया है,इस कारण अब यहां रोजाना हज़ारों की संख्या में देश एवं विदेश से पर्यटक आते रहते है।
गाँव की जनसंख्या : अगर कुलधरा गांव की जनसंख्या की बात करे तो गाँव में अब ४००( 400) खण्डहर घर देखे जा सकते है, जिसमें अब वर्तमान में कोई नहीं रहता है किन्तु किंवदन्तियों के अनुसार यहाँ भूत रहते है। लक्ष्मी चन्द द्वारा रचित इतिहास ग्रन्थ तवारीख-ए-जैसलमेर 1899 जिसमें लिखा गया है कि यहां पालीवाल ब्राह्मण जाति के लोग रहते थे। जबकि ऱेजवी के मुताबिक यहाँ १७ (17)वीं १८ (18)वीं शताब्दी में कुलधरा गाँव में तकरीबन १५८८ (1588) लोग रहते थे। एक ब्रिटिश अधिकारी जेम्स टॉड के अनुसार यहां की जनसंख्या १८१५ (1815) ईस्वी में कुल ८०० (800) ही थी जिसमें २०० (200) परिवार थे।
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