भारत की आजाद मीडिया का हाल,।

भारत की कुछ मीडिया आज TRP के लिए इतना गिर चुकी है कि इसका अंदाजा आप ऐसे लगा सकते है कि भारत मे बेरोजगारी ,अर्थव्यवस्था, विनिवेश, किसान, गरीबी , शिक्षा,पर भारत में इस के बारे में कोई न्यूज़ चैनलों पर बहस नही होती जिससे भारत विकास की राह को तेजी से तय कर सके और विश्वगुरु बन सके   

भारत की ज्यादा तर मीडिया TRP पाने के लिए इतना गिर चुकी है कि कोरोना काल मे मीडिया ने सारे हद पार कर दिए जैसे हम उदाहरण के तोर पर हम देख सकते है कुछ न्यूज़ चैनलो ने पूरे भारत मे एक झूठी न्यूज़ चलाई थी  कुछ महीने पहले और बाद में उन्होंने माफी भी मांगी और कहा हमे खेद है आदि, इसका परिणाम यह हुआ कि जो कुछ नॉन मुस्लिम थे उन्होंने मुस्लिमो से सामान लेने बंद कर दिए,न्यूज चैनलो पर वही मामलो पर बात होती है जिससे हिन्दू मुस्लिम की बात अहि जाती है इसका एक झलक आप सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या को देख सकते है जो फाँसी लगा लिया है लेकिन कुछ न्यूज़ चैनलो ने इस पर भी हिंदू मुस्लिम करने की सोची जिससे उनकी TRP बढ़ सके,सुशांत सिंह राजपूत ने फाँसी लगा ली उन्होंने हरे रंग के कपड़ो से फाँसी लगाई है उनकी लाश हारे रंग के कपड़ो से झूल रही थी, आप सोचो ऐसे हमारे देश की आजाद मीडिया है जो वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में 180 देशो की रेंक पर भारत की मीडिया 140 वे नम्बर पर थी इससे आप अंदाजा लगा सकते है हमारी देश की मीडिया कितनी आजाद है आज की भारत की कुछ मीडिया सूचना प्रसारण को बस एक कठपुतली बना दिया है जैसे चाह इस्तेमाल कर लिया,। मीडिया का काम लोगो को सूचना देने के साथ सरकार के हर कानून को लागू करने से होने वाली नकरात्मक पहलू जो भारत के हित में ना हो उस पर सरकार से सवाल करना है चाहे वो कोईसी भी नीति  हो जिससे सरकार तानाशाही न बन सके,लेकिन आज सब उलट है सरकार कोई योजना लाती नही है उसे पहले मीडिया सरकार की उस योजना का तारीफ इतना करती है की मानो की योजना लागू होते ही पुुुरे भारत मेंं से गरीबी मीट जाएगी,। 

                       

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